RESPECTED LAL KITAB DEVOTIES,PRANAM I,PT.RIBHU KANT GOSWAMI S/O
DAIVAGYA PANDIT BENI MADHAV GOSWAMI IS HERE TO CLARIFY THAT PANDIT
BENI MADHAV GOSWAMI IS NOT AUTHOR OF SAMUNDRIK KI LAL KITAB HE
NEVER CLAIMED HE IS AUTHOR OF SAMUNDRIK KI LAL KITAB .IF YOU SEE
THE TITLE OF 1942 EDITION IT IS WRITTEN PANDIT ROOP CHAND JOSHI KRIT
ILM SAMUNDRIK KI LAL KITAB TARMEEM SHUDHA (1942) . PANDIT BENI
MADHAV GOSWAMI AND HIS TEAM HAS TRANSLITERATED SAMUNDRIK KI LAL
KITAB .ON THE BACK SIDE OF THE BOOK WHERE WE HAVE MENTIONED THE WORD
AUTHOR IS FOR BOOKS LAL KITAB (ENGLISH),LAL DAIRY,UPAY MARTAND,KAUN
MANGLIK KAUN NAHI, AND JAMDAGNI BHAVISHYA LAGHU PANCHANG .LAL KITAB
(ENGLISH) CO AUTHOR IS PT.L.K.VASHISHT. STILL YOU THINK WE ARE DOING
DELIBERATELY WE APOLOGIES FOR THAT .
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर जनार्धन | यत्पूजितं मया देव परिपूर्णतदस्तु में|| जब हम पूजा
अर्चना करते है अंत में यह मंत्र पढ़ते है | इसका मतलब है की हे जनार्दन कोई मंत्र में कोई त्रुटी हो
क्रिया में कोई त्रुटी हो भक्ति में कोई त्रुटी हो तो हमें माफ़ करना अंत में आप सबका धन्यवाद करता हु
की आपने हमारी गलती निकाली ||
यार की यारी से ताल्लुक है उसके ऐब से ताल्लुक नहीं
(लाल किताब तरमीम शुदा १९४२ पेज नंबर ३८४ )
मजमून की गलती बताने वाला इस इल्म को बढाने के लिए सब मददगार दोस्त होगा |
असल दोस्त वह है जो नुक्स बतलाय
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