Even i don't get it.
--- In
astrostudents@yahoogroups.com, haresh pancholi <hpancholi75@...> wrote:
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> Respected Narehji, i couldn't find font of the same lail will you help me for this?Thanks & Regads,Haresh Pancholi.
> --- On Thu, 17/3/11, Naresh <nareshmehta11957@...> wrote:
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> From: Naresh <nareshmehta11957@...>
> Subject: [astrostudents] Rahu in hindi
> To:
astrostudents@yahoogroups.com> Date: Thursday, 17 March, 2011, 5:40 AM
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> आद्रणिय आस्ट्रोस्टुडेंट्स ग्रुप के माणनिय सद्स्य साहबानो जी
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> नमसते
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> मैं आप सभी को प्रणाम करता हुं, तथा हिन्दी में लिखने की कोशिश करता हुं, जैसा की आप सभी जानते हैं कि राहु धुयां, दिमागी सोच, लापरबाही, मस्त हाथी , राहु अच्छा हो तो आदमी की सोच
> अच्छी होगी, और अगर राहु बुरा हो तो आदमी की सोच बुरी होगी, तथा सबभाब अपनी मरजी से चलने का होगा, ( जैसे उदाहरन के तौर पर कहते हैं, कि कुते भोकते रहे, हाथी अपनी चाल चलता रहा) राहु
> खराब वाला अपनी मस्त चाल से काम करता होगा उसे किसी की भी परबाह न होगी, और एक बात राहु खराब वाला अपना कोई भी काम समय के आखिर तक टालने की कोशिश करने का आदि होगा, कभी भी अपना कोई
> भी बिल आखिरी समय से पहले नही भरेगा, हो सकता है कि हर बार बिल जुरमाने के साथ ही भरता होगा । जिस का मतलब उस की कुन्डली में राहु जहां भी बैटा हो, खराब फल दे रहा है, उस का कारण आप
> को कुन्ड्ली में डुंड्ना है, हर चीज को अन्दर से अन्दर अलग अलग करके उनके कारक ग्रह को देख कर, उन ग्रहो को कुन्ड्ली मे असर के अनुसार देख कर, उन सभी का मिला जुला असर जो भी आ रहा
> होगा, उस का पक्का असर जातक के शरीर से और मुहं से दिखाई देगा । उदाह्र्ण के तौर पर एक पेन जो लाल किताब में लिखा है कि सुनिहरी कैप (गोलडन) सुर्य का , लाल बेस मगंल का, मे अलग अलग
> रगों की शाही यनि कि हरी बुध की, नीली शुक्र की, काली शनी की आदि आदि ।
>
> राहु केतु जैसे दो रंगे हैं मगर उन में अगर लाल रंन्ग आ जाए तो अब ये दोरंगा राहु केतु का न होगा, किन्यू कि जहां मंगल होगा बहा राहु केतु न होगा । इस लिए पेन का बेस लाल रंग का
> लिखा गया है।
>
> कुन्ड्ली में कई बार कोई ग्रह तो अच्छा या बुरा बैटा होता है मगर जातक पर उस का असर आप को उल्टा ही दिखें और उस के भेद का पता न चले या कौन सा ग्रह उस को भेद कर रहा है समझ न आए तो
> जातक के शरीर पर से उस का पक्का पता चल सकता है,
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> अगर मैं आप को कहुं कि पुराने समय में जितने भी महान अस्त्रोलोजर हुए हैं, या जितने भी धार्मिक आगु जायदा पापुलर हुए हैं सभी ईसी तारीके से देखते थे,
>
> आज भी हमारे बहूत से रिशि मुनी इस को परय़ॊग करते हैं मगर अपनी बात दुसरो को नही बताते, आज के लिय इतना काफी है ।
>
> सदा सेबा के लिये तत्पर, आप का नरेश मेहिता mobile-09814740283
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