Monday, February 07, 2011

Re: [astrostudents] Re: SHANI

 

dear Sagar Ji,
Thanks for your quote from  Prabhakarji's transliteration. That covers only one part of the line i.e. Budh 2 is enemical to father. But how have u derived the age of  danger to be betwen 32 to 34 years ( this is something quite specific) -- it would be interesting to know.
 
There must be certain conditions in the natal chart where Budh 2  does not affect the jatak's father.
 
with Best wushes;
sincerely,
kiranjit

--- On Mon, 2/7/11, Jesal Sagar <jesalsagar@yahoo.com> wrote:

From: Jesal Sagar <jesalsagar@yahoo.com>
Subject: Re: [astrostudents] Re: SHANI
To: astrostudents@yahoogroups.com
Date: Monday, February 7, 2011, 10:03 PM

 
Dear Kiranjit kumar ..

I don't say anything without verifing or without proof ..
Thakurji has told me this thing abt budh in 2nd house after that only I have written it .. And I have attached a pic of transleted LK in hindi by Respected Yograj prabhakarji - 1942 edition .. In which its written ..

"Ghar 8ve jo shatru aave , faas budh ka manda ho
Dhaan daulat sabko hi gaale , heera jal kar kalee ho
Pita mare aulad na aave , kanya se bharpur ho vo
Kutumb kabila saara woh paale , thoda sa magroor bhi ho "



Regards
Jesal Sagar.

From: kiranjit kumar <kapatjal@yahoo.com>
Sender: astrostudents@yahoogroups.com
Date: Mon, 7 Feb 2011 04:12:02 -0800 (PST)
To: <astrostudents@yahoogroups.com>
ReplyTo: astrostudents@yahoogroups.com
Subject: Re: [astrostudents] Re: SHANI

 
dear Sagar Ji,
Please ensure that the line 
 "Budh in 2nd house of the person is also danger to his father at his age between 32 to 34 years ..."  
as given in your letter is as par LK .Please get it verified from Thakur ji as he has the original LK.
 With best wishes;
Kiranjit
--- On Sun, 2/6/11, Jesal Sagar <jesalsagar@yahoo.com> wrote:

From: Jesal Sagar <jesalsagar@yahoo.com>
Subject: Re: [astrostudents] Re: SHANI
To: astrostudents@yahoogroups.com
Date: Sunday, February 6, 2011, 10:14 PM

 
Respected Vijay goel ji ..

Yes Thakurji has very gud command over LK you are true ..
I personally think its my gud karmas that's I know Thakurji ..
The way he sees patrika and the way he explains the problems and gives solution is unique in its own way ..

I know Mr Yograj prabhakar ji also has very gud command over LK ..

But Thakurji has very gud view of seeing the problems ...
Yes rahu in 11th is danger ..
Budh in 2nd house of the person is also danger to his father at his age between 32 to 34 years ...

And yes Vijay goel ji ur true he is doing the best work by bringing out these all articles ...


Regards
Jesal Sagar.

From: "vijay.goel" <goyalvj@gmail.com>
Sender: astrostudents@yahoogroups.com
Date: Sat, 05 Feb 2011 16:44:34 -0000
To: <astrostudents@yahoogroups.com>
ReplyTo: astrostudents@yahoogroups.com
Subject: [astrostudents] Re: SHANI

 
Dear Jesal Ji,

I have met shri D s Thakur ji,

He have very good command over LK. I respect his knowledge.

I still remember his article on Rahu in 11H and short life of father.

He is doing very good work by bringing these articles.

Thankyou
Regards,
Vijay Goel
Jaipur.

--- In astrostudents@yahoogroups.com, JESAL SAGAR <jesalsagar@...> wrote:
>
> Dear members 
> lot of confusion is there abt shani dev in a kundali ..my mentor and a lalkitab expert Shri D.S.Thakurji gives its view and makes us understand abt shani in kundali .. and how shani gives results in kundali ..
> शनि दुश्मन नही दोस्त भीशनि का ज्रिक्र आते ही दिल में खौफ की लहर सी दौड़ जाती है। ज़िन्दगी के हर मंदे नतीजे को अकसर शनि ग्रह से जोड़ दिया जाता है। पहले तो शनि की साढ़सती की बात होती थी, अब शनि के काल सर्प योग का चर्चा भी आम है। ऐसा लगता है कि जैसे सब बुरे कामों का ठेका शनि ने लिया हो । गोया सब परेशानियां, शनि की मिहरबानियां । तो क्या शनि हमारा दुश्मन है ? इसका जवाब गौरो खोज से
> मिलेगा। 
> ज्योतिष में शनि को सांप भी माना गया हैं । सांप का नाम आते ही दिल में डर सा पैदा होने लगता है। हालांकि हर सांप ज़हरीला नही होता। शनि का सांप खज़ाने का रखवाला भी होता है। चन्द्र नगद रूपया तो शनि खजांची है। शनि के सांप के बिना गरीबी का कुत्ताा भौंकता होगा। अगर खाना नं0 3 में शनि कंगाल है तो खाना नं0 9 में मकान जायदाद का मालिक भी है। अगर खाना नं0 6 में शनि खतरनाक ज़हरीला सांप है तो खाना
> नं0 12 मे साया करने वाला शेषनाग भी है। दूसरे लफज़ों में, दोस्ती ��"र दुश्मनी शनि के दोनों पहलू हैं। दरअसल शनि बद कम बदनाम ज्यादा है। 
>
> लाल किताब के फरमान नं0 15 के मुताबिक:-
>
> '' पाप नैया न हर दम चलती, न ही माला ग्रह कुल की,
>
> शनि होता न मुंसिफ दुनिया, बेड़ी गर्क थी सब की'' ।
>
> अगर शनि दुनिया का मुंसिफ न होता तो सब की बेड़ी गर्क हो जाती। मतलब यह कि दुनियावी काम काज़ चलाने के लिये शनि की ज़रूरत है। सन्यास या मकान-जायदाद, चालाकी से धन दौलत कमाने का ज़माना, 36 साला उम्र, शनि की पहचान है। 
>
> तमाम मकानों, इन्सान की बिनाई ��"र हरेक की नेकी ��"र बदी का हिसाब किताब लिखने वाले एजेन्टों का मालिक, हाकिम शनि देवता ज़ाहिरा पीर है। इसी लिये कई मन्दिरों में शनि की पूजा होती है। नेक हालत में जब अपने जाती स्वभाव के असूल के मुताबिक नेक असर का हो तो बृहस्पति के घरों (खाना नं0 2,5,9,12) में कभी बुरा असर नही देता। शनि का ऐजण्ट केतु, उम्र की किश्ती का मल्लाह है। बुध के दायरे मे राहु केतु की
> तरफ से जिस कार्रवाई की लिखत लिखाई हो, शनि उस पर धर्म से फैसला करता है। नेक असर के वक्त शनि इन्सानी उम्र के 10,19, 37 साल में उत्ताम फल देता है। अगर कुंडली में एक दो तीन की तरकीब ��"र दृष्टि के असूल पर पहले घरों में केतु हो ��"र शनि के बाद में तो शनि एक इच्छाधारी तारने वाला सांप होगा। शनि को अगर सांप माना जाये तो उसकी दुम केतु बैठा होने वाले घर में होगी ��"र सर उसका राहु बैठा होने वाले घर
> में गिना जायेगा। बृहस्पति कायम हो तो शनि एक ठंडा सर सब्ज पहाड़ होगा, खासकर जब चन्द्र भी दुरूस्त हो। बृहस्पति के घराें में शनि का असर वैद धन्वतरि की हैसियत का उम्दा होगा। हामला ��"रत, इकलौते या खानदान में अकेले लड़के के सामने शनि का सांप खुद अन्धा होगा ��"र डंक न मारेगा।
>
> मंदी हालत के वक्त मौत का फन्दा फैलाये दिन दिहाड़े सब के सामने सरे बाज़ार कत्ल करने की तरह मंदा ज़माना खड़ा कर देगा। फकीर को खैरात देने की बजाये उल्ट उसकी झोली में माल निकाल लेगा। सब से धन की चोरी करता कराता फिर भी निर्धन ही होगा। हरेक के आगे सवाली फिर उसी पर चोट मार देना इसका काम होगा। मंदी हालत में शनि का एजेंट राहु होगा जो ज़हर का भण्डारी है। 
>
> दो या दो से ज्याद नर ग्रहों (बृहस्पति,सूरज, मंगल) के साथ शनि काबू में हो जाता है ��"र ज़हर नही उगल सकता। जिस कदर मुकाबले पर दुश्मन ग्रहों (सूरज, चन्द्र, मंगल) का साथ बढ़ता जाये शनि ��"र भी मन्दा हो जाता है। मंदी हालत में शनि की चीज़ों का दान मददगार होगा।
>
> बृहस्पति के घराें में शनि बुरा फल नही देता मगर बृहस्पति खुद शनि के घर खाना नं.0 10 में नीच हो जाता है। मंगल अकेला शनि के घर खाना नं0 10 में राजा है मगर मंगल के घर खाना नं0 3 में शनि नगद माया से दूर कंगाल हो जाता है। सूरज के घर खाना नं0 5 में शनि बच्चे खाने वाला सांप है मगर शनि के घर खाना नं0 11 में सूरज उत्ताम, धर्मी हो जाता है। चन्द्र के घर खाना नं0 4 में शनि पानी में डूबा हुआ सांप जो अधरंग
> से मरे हुये को शफ़ा (सेहत) दे मगर शनि के हैडक्वाटर खाना नं0 8 में, जो मंगल की मौतों का घर है, चन्द्र नीच हो जाता है। शुक्र ने शनि से आंख उधार ली है इसलिये शुक्र घर खाना नं0 7 में शनि उच्च है। राहु बदी का एजेण्ट है मगर राहु के घर खाना नं0 12 में शनि हरेक का भला ही करता है। केतु नेकी का फरिशता है मगर केतु के घर खाना नं0 6 में शनि मन्दे लड़के ��"र खोटे पैसे की तरह कभी न कभी काम काम आ ही जाने वाला
> मगर मन्दा ज़हरीला सांप होता है। इस तरह कुण्डली के जुदा जुदा खानों मे शनि का जुदा जुदा अच्छा या बुरा फल होता है।
>
> शनि की अदालत
>
> लाल किताब के मुताबिक राहु अगर मुल्ज़िम का चालान पेश करने का शहादती हो तो केतु उसके बचाने के लिये मददगार वकील होगा। दोनों के दरमियान बात का धर्मी फैसला करने के लिये शनि हाकिम, वक्त की कचहरी का सब से बड़ा जज होगा। पापी ग्रहों (राहु, केतु, शनि ) ने दुनियावी पापियों गुनाहगारों को सीधे रास्ते पर लाने ��"र गृहस्थी निज़ाम को कायम रखने के लिये अपनी ही पंचायत बना रखी है। इस बात के मद्दे
> नज़र रखते हुये ज़माने के गुरू ��"र तमाम ग्रहों को पेशवा बृहस्पति ने शनि के घर खाना नं0 11 में अपनी धर्म अदालत मुकर्रर की है। जहां शनि अपनी माता के दूध को याद करके, बृहस्पति का हल्फ उठाने के बाद राहु ��"र केतु की की शहादत के मुताबिक फैसला करता है। 
>
> शनि खुद बुराई नही करता बल्कि उसके एजेण्ट राहु केतु बुराई वाले काम उसके पास फैसले के लिये लाते हैं। लिहाज़ा बुरो कामों के (बुरे) फैंसले करते करते शनि खुद बदनाम हो गया। लोग बदनाम को ही बुरा कहते हैं । अगर दुनिया में पाप न हो तो राहु कोई चालान पेश न करेगा। कर भी दे तो केतु की मदद से शनि का फैसला हक में होगा। फिर शनि को कोई बुरा भी न कहेगा।
>
> आखिर नतीजा यही निकलता है कि शनि दुश्मन नही दोस्त भी है।
> everything written by SHRI D.S.THAKURJI ....
> Regards
> JESAL SAGAR.
>


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